वो भी अपने पापा की princess थी,
पर कुछ दरिंदो ने उसे कठपुतली बना दिया,
छेड़कर उसका हर अंग,उसे उन हैवानों ने गंदा किया,
किसी की बेटी थी,किसी की बहन थी,
क्यों कुछ जानवरों ने इंसानियत को शर्मिंदा किया,
वो हंसती बोलती गुड़िया थी,
ऑगन में उड़ती चिड़िया थी,
उसकी आवाज़ को उन हैवानों ने,हमेशा के लिए दबा दिया,
पापा की परी,मॉ की मुस्कान थी वो,हंसता खेलता ऑगन उसके घर का,
उन जानवरों ने बचपन उस मासूम का जला दिया,
अभी तो इस सब का मतलब भी नहीं समझती वो,
पर जिस दिन समझेगी,उस दिन खुद के जन्म को कोसेगी
क्या लड़की होने का उसने गुनाह किया,
अरे जानवर से भी बद्तर हो तुम -२
तुमने पल भर में एक मासूम की जिंदगी को तबाह किया,
भगवान भी शर्मिंदा है अब तो,उसने मर्द बनाकर तुम्हें गुनाह किया,
क्या बीतेगी उस बच्ची पर,क्या गुज़रेगी जब जानेगी कल,
वो तो मर जाएगी बस उसी पल,तुमने तो उसके राजा रानी वाले सपनों को भी जला दिया
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