White #शिक्षापत्री#
भक्तिं वा ज्ञानमालम्ब्य स्त्रीद्रव्यरसलोलुभाः ।
पापे प्रवर्तमानाः स्युः कार्यस्तेषां न संगमः ॥२८॥
जो मनुष्य भक्ति का अथवा ज्ञान का
आलंबन लेकर स्त्री, द्रव्य तथा रसास्वाद में
अत्यंत लोलुप होकर पाप कर्म में प्रवृत्त हों,
ऐसे मनुष्यों का समागम न करें ॥२८॥
©BABAPATHAKPURIYA
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