White अमूमन मैं अपने ख्वाब
अपनी औकात में देखता हूं:
पर ना जानें क्यों,
तुम्हे अपने साथ देखता हूं !
देखने को मैं भी देखूं
तेरे गाल, आँख, होंठ और चेहरा;
पर ना जानें क्यों,
मैं तेरे हाथ देखता हूं !
मैं सो कर उठू तो
देखने को पड़ा है सारा शहर
पर ना जानें क्यों
मैं चढ़े दिन में तेरे ख्वाब देखता हूं
©बोलती दीवार
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