बैठू तेरे पहलू में छुप कर
नज़रों से तेरी नज़रें उतारू
हाथो में उल्झे हो हाथों के धेरे
साथ तेरे इक ढलती सांझ निहारूं
कुछ लफ्ज़ तेरे हो
कुछ लफ्ज़ मेरे हो
कुछ ख़ामोशी तेरी हो
कुछ ख़ामोशी मेरी हो
साथ तेरे इक मुकम्मल सा पल गुजारू
बैठू तेरे पहलू में छुप कर
नज़रों से तेरी नज़रें उतारू.....
©Mandavi singh
#Light