मज़बूर ये कैसी मजबूरी है ना आँखों से छलकते है ना कागज़ पर उतरते है दर्द कुछ ऐसे है जो बस भीतर ही पलते है...!! #मज़बूर ये कैसी मजबूरी है ना आँखों से छलकते है ना कागज़ पर उतरते है दर्द कुछ ऐसे है जो बस भीतर ही पलते है...!! Quotes, Shayari, Story, Poem, Jokes, Memes On Nojoto