सूरज की पहली किरण के साथ काम की रफ्तार है
कांधे पर बस्ता हम भूखे पेट भी काम को तयार है
खुद को खोकर हम किसे पाने चले है
दुनिया की छोड़ो हम खुद के दुश्मन बने है ।।
कितनी इच्छाएं अधूरी रह गई
जिम्मेदारियां मे "मेरी पहचान" तक बह गई
"कल "को पाने मे आज को खोने चले है
दुनिया की छोड़ो हम खुद के दुश्मन बने है।।
©Meri Kalam
#khudkipahchan