03-04-96   ओम शान्ति    अव्यक्त बा

" 03-04-96   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन ‘सेवाओं के साथ-साथ बेहद की वैराग्य वृत्ति द्वारा पुराने वा व्यर्थ संस्कारों से मुक्त बनो’’ आज बेहद का बाप अपने बेहद के सदा सहयोगी साथियों को देख रहे हैं। चारों ओर के सदा सहयोगी बच्चे, सदा बाप के दिल पर दिलतख्तनशीन, निराकार बाप को अपना अकाल तख्त भी नहीं है लेकिन तुम बच्चों को कितने तख्त हैं? तो बापदादा तख्तनशीन बच्चों को देख सदा हर्षित रहते हैं-वाह मेरे तख्तनशीन बच्चे! बच्चे बाप को देख खुश होते हैं, आप सभी बापदादा को देख खुश होते हो लेकिन बापदादा कितने बच्चों को देख खुश होते हैं क्योंकि हर एक बच्चा विशेष आत्मा है। चाहे लास्ट नम्बर भी है लेकिन फिर भी लास्ट होते भी विशेष कोटो में कोई, कोई में कोई की लिस्ट में है। इसलिए एक-एक बच्चे को देख बाप को ज्यादा खुशी है वा आपको है? (दोनों को) बाप को कितने बच्चे हैं! जितने बच्चे उतनी खुशी और आपको सिर्फ डबल खुशी है, बस। आपको परिवार की भी खुशी है लेकिन बाप की खुशी सदाकाल की है और आपकी खुशी सदाकाल है या कभी नीचे ऊपर होती है? बापदादा समझते हैं कि ब्राह्मण जीवन का श्वास खुशी है। खुशी नहीं तो ब्राह्मण जीवन नहीं और अविनाशी खुशी, कभी-कभी वाली नहीं, परसेन्टेज़ वाली नहीं। खुशी तो खुशी है। आज 50 परसेन्ट खुशी है, कल 100 परसेन्ट है, तो जीवन का श्वास नीचे ऊपर है ना! बापदादा ने पहले भी कहा है कि शरीर चला जाए लेकिन खुशी नहीं जाए। तो यह पाठ सदा पक्का है या थोड़ा- थोड़ा कच्चा है? सदा अण्डरलाइन है? कभी-कभी वाले क्या होंगे? सदा खुशी में रहने वाले पास विद् ऑनर और कभी-कभी खुशी में रहने वालों को धर्मराजपुरी पास करनी पड़ेगी। पास विद् ऑनर वाले एक सेकण्ड में बाप के साथ जायेंगे, रूकेंगे नहीं। तो आप सब कौन हो? साथ चलने वाले या रूकने वाले? (साथ चलने वाले) ऐसा चार्ट है? ©Shishir Rane "

03-04-96   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन ‘सेवाओं के साथ-साथ बेहद की वैराग्य वृत्ति द्वारा पुराने वा व्यर्थ संस्कारों से मुक्त बनो’’ आज बेहद का बाप अपने बेहद के सदा सहयोगी साथियों को देख रहे हैं। चारों ओर के सदा सहयोगी बच्चे, सदा बाप के दिल पर दिलतख्तनशीन, निराकार बाप को अपना अकाल तख्त भी नहीं है लेकिन तुम बच्चों को कितने तख्त हैं? तो बापदादा तख्तनशीन बच्चों को देख सदा हर्षित रहते हैं-वाह मेरे तख्तनशीन बच्चे! बच्चे बाप को देख खुश होते हैं, आप सभी बापदादा को देख खुश होते हो लेकिन बापदादा कितने बच्चों को देख खुश होते हैं क्योंकि हर एक बच्चा विशेष आत्मा है। चाहे लास्ट नम्बर भी है लेकिन फिर भी लास्ट होते भी विशेष कोटो में कोई, कोई में कोई की लिस्ट में है। इसलिए एक-एक बच्चे को देख बाप को ज्यादा खुशी है वा आपको है? (दोनों को) बाप को कितने बच्चे हैं! जितने बच्चे उतनी खुशी और आपको सिर्फ डबल खुशी है, बस। आपको परिवार की भी खुशी है लेकिन बाप की खुशी सदाकाल की है और आपकी खुशी सदाकाल है या कभी नीचे ऊपर होती है? बापदादा समझते हैं कि ब्राह्मण जीवन का श्वास खुशी है। खुशी नहीं तो ब्राह्मण जीवन नहीं और अविनाशी खुशी, कभी-कभी वाली नहीं, परसेन्टेज़ वाली नहीं। खुशी तो खुशी है। आज 50 परसेन्ट खुशी है, कल 100 परसेन्ट है, तो जीवन का श्वास नीचे ऊपर है ना! बापदादा ने पहले भी कहा है कि शरीर चला जाए लेकिन खुशी नहीं जाए। तो यह पाठ सदा पक्का है या थोड़ा- थोड़ा कच्चा है? सदा अण्डरलाइन है? कभी-कभी वाले क्या होंगे? सदा खुशी में रहने वाले पास विद् ऑनर और कभी-कभी खुशी में रहने वालों को धर्मराजपुरी पास करनी पड़ेगी। पास विद् ऑनर वाले एक सेकण्ड में बाप के साथ जायेंगे, रूकेंगे नहीं। तो आप सब कौन हो? साथ चलने वाले या रूकने वाले? (साथ चलने वाले) ऐसा चार्ट है? ©Shishir Rane

#भगवान#शिव_के_महा-वाकय#

People who shared love close

More like this

Trending Topic