चांद से कहा सुनी हो गई,
ज़रा सी बात पर,
प्यारी है वो तुझसे,
तो नाराज़गी किस बात से?
सच ही तो बोला था मैने,
चाँद पर तो दाग़ है ,
पर उसमे कुछ तो बात है,
वो चेहरे पर मासूमियत,
होंठ जैसे पंखुड़ी,
बाल जैसे काले घने बादल,
आँखे जैसे मैखाना,
और हां ,
चाँद से भी तेज़ नूर उसका,
पर ना जाने क्यों ?
चांद से कहा सुनी हो गई,
ज़रा सी बात पर ...
©Abhishreshth Mishra"श्रेयश"
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