सराय-ए-फ़ानी है फिर भी इसे बेहतर समझते है ।। पराय- | हिंदी कविता Video
"सराय-ए-फ़ानी है फिर भी इसे बेहतर समझते है ।।
पराय-ए-घर को भी कुछ लोग अपना घर समझते है ।।
हमारे मुल्कं मे बेबाक़ है कुछ लोग एैसे भी ।
हमारे फुल जैसे दिल को भी पत्थर समझते है ।।
बेबाक़ आज़मी"
सराय-ए-फ़ानी है फिर भी इसे बेहतर समझते है ।।
पराय-ए-घर को भी कुछ लोग अपना घर समझते है ।।
हमारे मुल्कं मे बेबाक़ है कुछ लोग एैसे भी ।
हमारे फुल जैसे दिल को भी पत्थर समझते है ।।
बेबाक़ आज़मी