White "गुरु की महिमा" गुरु ब्रह्म हैं गुरु विष्णु | हिंदी Po

"White "गुरु की महिमा" गुरु ब्रह्म हैं गुरु विष्णु गुरु गोविंद महेश । गुरु शरण जो धाय मिट जाए सारा क्लेश।। गुरु राम हैं गुरु श्याम गुरु पिता मां अम्बा। गुरु सरस्वती लक्ष्मी पार्वती गुरु दुर्गा जगदम्बा।। गुरु अल्लाह गॉड ईश्वर एक जिनके कारज नेक अनेक। चाहें पढलो गीता कुरान रामायण महाभारत या धार्मिक वेद।। गुरु ज्ञान सरोवर सागर गुरु विद्या की खान। गुरु जीवन के पथ प्रदर्शक गुरू चक्षु समान।। गुरु बल हैं गुरु बुद्धि है जैसे पावन यमुना गंगा का जल।। गुरू विद्यार्थी का दीपक प्रकाश हर समस्या का सही हल।। गुरु देव ऋषि मुनि महात्मा गुरु संदीपनी वाल्मिकी चाणक्य। गुरु शिक्षा के नायक शिक्षार्थी जो दिलाए शिष्यों का लक्ष्य।। गुरु ब्रह्मांड वैज्ञानिक दर्शन शास्त्र शस्त्र भी सिखाए। गुरु के कृपा से अबोध विद्यार्थी चांद मंगल भीं घूम आए ।। गुरु मित्र सखा हितकारी अच्छा मार्ग प्रशस्त कर्ता। छात्र छात्राओं को पुत्र पुत्री माने सबका कष्ट हरण करता।। गुरु मात्र भाव का भूखा आदर सत्कार सम्मान चहेता। सूरज बन खुद जलता चलता बहुमूल्य ज्ञान गुण सबको देता।। शिक्षित सभ्य समाज निर्माता यथा निर्देशक गुरु हैं रूप। शिष्टाचार अनुशासन शुभ चिन्तक गुरु छत्र छाया कभी धूप।। गुरू किसी को डाक्टर बनाए किसी को राष्ट्र का राजा। गुरु से कोई मास्टर इंजीनियर बने सच्चा देशभक्त खुश प्रजा।। गुरु आईएएस आईपीएस पैदा करें वकील कलक्टर नेता अधिकारी। गुरु कृपा दया जो भीं प्राप्त करें महाराज भीं बन जाए निर्धन भिखारी ।। गुरु महिमा मंडन अपरम्पार है गुरु के पांव जो भक्त पूजे। मानवजीवन प्रफुल्लित प्रकाशित हों धन्य धान्य यश वैभव समृद्धि जय गूंजे।। जय गुरु विजय गुरु करू गुरू गुणगान चरण स्पर्श गुरूवे नमः ह्वदय बसे गुरु धाम।। करे प्रकाश गुरु बखान वंदन विद्यार्थी कोटि कोटि नमन अभिनंदन प्रणाम। गुरु से बढ़कर कोई न जग में दूजा गुरु चरण में शिक्षित हुए भगवान।। स्वरचित:- प्रकाश विद्यार्थी भोजपुर बिहार ©Prakash Vidyarthi "

White "गुरु की महिमा" गुरु ब्रह्म हैं गुरु विष्णु गुरु गोविंद महेश । गुरु शरण जो धाय मिट जाए सारा क्लेश।। गुरु राम हैं गुरु श्याम गुरु पिता मां अम्बा। गुरु सरस्वती लक्ष्मी पार्वती गुरु दुर्गा जगदम्बा।। गुरु अल्लाह गॉड ईश्वर एक जिनके कारज नेक अनेक। चाहें पढलो गीता कुरान रामायण महाभारत या धार्मिक वेद।। गुरु ज्ञान सरोवर सागर गुरु विद्या की खान। गुरु जीवन के पथ प्रदर्शक गुरू चक्षु समान।। गुरु बल हैं गुरु बुद्धि है जैसे पावन यमुना गंगा का जल।। गुरू विद्यार्थी का दीपक प्रकाश हर समस्या का सही हल।। गुरु देव ऋषि मुनि महात्मा गुरु संदीपनी वाल्मिकी चाणक्य। गुरु शिक्षा के नायक शिक्षार्थी जो दिलाए शिष्यों का लक्ष्य।। गुरु ब्रह्मांड वैज्ञानिक दर्शन शास्त्र शस्त्र भी सिखाए। गुरु के कृपा से अबोध विद्यार्थी चांद मंगल भीं घूम आए ।। गुरु मित्र सखा हितकारी अच्छा मार्ग प्रशस्त कर्ता। छात्र छात्राओं को पुत्र पुत्री माने सबका कष्ट हरण करता।। गुरु मात्र भाव का भूखा आदर सत्कार सम्मान चहेता। सूरज बन खुद जलता चलता बहुमूल्य ज्ञान गुण सबको देता।। शिक्षित सभ्य समाज निर्माता यथा निर्देशक गुरु हैं रूप। शिष्टाचार अनुशासन शुभ चिन्तक गुरु छत्र छाया कभी धूप।। गुरू किसी को डाक्टर बनाए किसी को राष्ट्र का राजा। गुरु से कोई मास्टर इंजीनियर बने सच्चा देशभक्त खुश प्रजा।। गुरु आईएएस आईपीएस पैदा करें वकील कलक्टर नेता अधिकारी। गुरु कृपा दया जो भीं प्राप्त करें महाराज भीं बन जाए निर्धन भिखारी ।। गुरु महिमा मंडन अपरम्पार है गुरु के पांव जो भक्त पूजे। मानवजीवन प्रफुल्लित प्रकाशित हों धन्य धान्य यश वैभव समृद्धि जय गूंजे।। जय गुरु विजय गुरु करू गुरू गुणगान चरण स्पर्श गुरूवे नमः ह्वदय बसे गुरु धाम।। करे प्रकाश गुरु बखान वंदन विद्यार्थी कोटि कोटि नमन अभिनंदन प्रणाम। गुरु से बढ़कर कोई न जग में दूजा गुरु चरण में शिक्षित हुए भगवान।। स्वरचित:- प्रकाश विद्यार्थी भोजपुर बिहार ©Prakash Vidyarthi

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