*घिरा रहता हूँ मैं पल-पल अनगिन विचारों में,* *जैसे | हिंदी Video

"*घिरा रहता हूँ मैं पल-पल अनगिन विचारों में,* *जैसे इक अकेला आसमाँ लाखों सितारों में!* *पता क्या था अपना इक पागल पड़ोसी ही,* *बिछाएगा बारूद और अंगारे मेरे बहारों में!* *अब लफ़्ज़ों से बाहर हमें मत ढूंढिये साहब,* *हमारी हर बात होती है खमोशी से इशारों में!* *चमन में तितलियां,भँवरो को रहना पड़ता है,* *कभी "अनुपम" तीखे नुकीले तेज़ खारो में!* ©"ANUPAM" "

*घिरा रहता हूँ मैं पल-पल अनगिन विचारों में,* *जैसे इक अकेला आसमाँ लाखों सितारों में!* *पता क्या था अपना इक पागल पड़ोसी ही,* *बिछाएगा बारूद और अंगारे मेरे बहारों में!* *अब लफ़्ज़ों से बाहर हमें मत ढूंढिये साहब,* *हमारी हर बात होती है खमोशी से इशारों में!* *चमन में तितलियां,भँवरो को रहना पड़ता है,* *कभी "अनुपम" तीखे नुकीले तेज़ खारो में!* ©"ANUPAM"

#पल

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