मेरे लबों पर हर रोज़ इतवार रहता है. ये कैसा ख़्वा | हिंदी Shayari Vide

"मेरे लबों पर हर रोज़ इतवार रहता है. ये कैसा ख़्वाब है, जो बस ख़्वाब रहता है. ©Dipak Jha "

मेरे लबों पर हर रोज़ इतवार रहता है. ये कैसा ख़्वाब है, जो बस ख़्वाब रहता है. ©Dipak Jha

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