निरंतर प्रयास और मन की शक्ति से ही, सब कुछ बनता है

"निरंतर प्रयास और मन की शक्ति से ही, सब कुछ बनता हैं। मेहनत बिना तो आदमी बेबस और लाचार होता हैं। मेहनत करता हैं उसी का नाम होता हैं बाकी सब तो नाकाम होता हैं। मेहनत होती हैं गुच्छे की आखिरी चाबी फिर दुनिया में कुछ भी नही रहता बाकी। मेहनत हो भी गई नाकाम तब दिल कहता हैं तू एक बार और कर कुछ काम। आदमी से ज्यादा मेहनत नही हैं भारी जो करेगा मेहनत उस पर फिदा होगी दुनिया सारी। ©Amit sharma"

 निरंतर प्रयास और मन की शक्ति से ही, सब कुछ बनता हैं।
मेहनत बिना तो आदमी बेबस और लाचार होता हैं।
मेहनत करता हैं उसी का नाम होता हैं
बाकी सब तो नाकाम होता हैं।
मेहनत होती हैं गुच्छे की आखिरी चाबी
फिर दुनिया में कुछ भी नही रहता बाकी।
मेहनत हो भी गई नाकाम
तब दिल कहता हैं तू एक बार और कर कुछ काम।
आदमी से ज्यादा मेहनत नही हैं भारी
जो करेगा मेहनत उस पर फिदा होगी दुनिया सारी।

©Amit sharma

निरंतर प्रयास और मन की शक्ति से ही, सब कुछ बनता हैं। मेहनत बिना तो आदमी बेबस और लाचार होता हैं। मेहनत करता हैं उसी का नाम होता हैं बाकी सब तो नाकाम होता हैं। मेहनत होती हैं गुच्छे की आखिरी चाबी फिर दुनिया में कुछ भी नही रहता बाकी। मेहनत हो भी गई नाकाम तब दिल कहता हैं तू एक बार और कर कुछ काम। आदमी से ज्यादा मेहनत नही हैं भारी जो करेगा मेहनत उस पर फिदा होगी दुनिया सारी। ©Amit sharma

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