कहाँ आ के रुकने थे रास्ते कहाँ मोड़ था उसे भूल जा;

"कहाँ आ के रुकने थे रास्ते कहाँ मोड़ था उसे भूल जा; वो जो मिल गया उसे याद रख जो नहीं मिला उसे भूल जा; वो तेरे नसीब की बारिशें किसी और छत पे बरस गई; दिल-ए-मुंतज़िर मेरी बात सुन उसे भूल जा उसे भूल जा।"

 कहाँ आ के रुकने थे रास्ते कहाँ मोड़ था उसे भूल जा;
वो जो मिल गया उसे याद रख जो नहीं मिला उसे भूल जा;
वो तेरे नसीब की बारिशें किसी और छत पे बरस गई;
दिल-ए-मुंतज़िर मेरी बात सुन उसे भूल जा उसे भूल जा।

कहाँ आ के रुकने थे रास्ते कहाँ मोड़ था उसे भूल जा; वो जो मिल गया उसे याद रख जो नहीं मिला उसे भूल जा; वो तेरे नसीब की बारिशें किसी और छत पे बरस गई; दिल-ए-मुंतज़िर मेरी बात सुन उसे भूल जा उसे भूल जा।

#Morarji_Desai_Birthday

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