दीवाली कुछ ऐसे मनाएं। दिलों के, अंधियारे को दूर | हिंदी कविता Video

"दीवाली कुछ ऐसे मनाएं। दिलों के, अंधियारे को दूर भगाएं। यूं तो रोशनी,हर साल करते हैं, दीपकों की । फिर भी मन का अंधकार,रहता है, क्यूं हर घड़ी में ? क्यूं न प्रेम के दीपक जलाते चलें ? मन की कलुषित भावना को, मिटाते चलें । तभी दीपावली,इक रोशनी का प्रतीक बन सकती है । हमारे ज्ञान के प्रकाश से, ये महफ़िल भी सज सकती है । ©IG @kavi_neetesh "

दीवाली कुछ ऐसे मनाएं। दिलों के, अंधियारे को दूर भगाएं। यूं तो रोशनी,हर साल करते हैं, दीपकों की । फिर भी मन का अंधकार,रहता है, क्यूं हर घड़ी में ? क्यूं न प्रेम के दीपक जलाते चलें ? मन की कलुषित भावना को, मिटाते चलें । तभी दीपावली,इक रोशनी का प्रतीक बन सकती है । हमारे ज्ञान के प्रकाश से, ये महफ़िल भी सज सकती है । ©IG @kavi_neetesh

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