दीवाली कुछ ऐसे मनाएं।
दिलों के, अंधियारे को दूर भगाएं।
यूं तो रोशनी,हर साल करते हैं, दीपकों की ।
फिर भी मन का अंधकार,रहता है, क्यूं हर घड़ी में ?
क्यूं न प्रेम के दीपक जलाते चलें ?
मन की कलुषित भावना को, मिटाते चलें ।
तभी दीपावली,इक रोशनी का प्रतीक बन सकती है ।
हमारे ज्ञान के प्रकाश से, ये महफ़िल भी सज सकती है ।
©IG @kavi_neetesh
#Diwali
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