रात कहानी कहती है
रात कहानी कहती है जिसे सुन चांदनी सोती है।
इक मतवाली रात में चांद छाया बादलों पर,
कहता चांदनी से पास आ मेरे मुझसे ना डर।
चांदनी बस आसमां में यहां वहां टहलती है,
रात कहानी कहती है।
चांदनी लगे घबराई सी, फिरती है भरमाई सी,
चांद कहें आ संग मेरे, मुझसे क्यों शरमाई सी,
चांद की सुध ना चांदनी पलभर भी लेती है,
रात कहानी कहती है।
चांद कहें मैं रातों का राजा, दूंगा तुझे अभय आजा,
तेरे लिए सखा हूं नहीं राजा,अपने ग़म मेरे नाम लिखवा जा, चांदनी अब पहले सी नहीं डरती है, चांद के संग सपने नए संजोती है।
रात कहानी कहती है।
चांद के बाहों में सिमटकर, रह गई चांदनी पिघलकर,
रोशन रात का तारा बनकर, चांदनी बिखरी दमककर,
प्यार में ये देखो इठलाती है, चांद के संग हाय इतराती है।
रात कहानी कहती है, चांदनी के संग खुश होती है।
- एहसास
©Varsha Bhosale
रात कहानी कहती है...
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