मेरी जिन्दगी ने मुझे कई किरदार दिये और मेरे द्वारा उन्हें बखूबी से निभाया गया। उसके बाबजूद भी मुझ पर कीचड़ उछाला गया। तब मैेनें कलम उठाई दर्द बयां किये और उसी दर्द को सायरी कविता से नमाजा गया। मेरे दर्द को इस तरह सराहा गया। सच कहूँ! तब से मुझे लोंगों द्वारा बहुत चाहा गया।
©शुभम जैन सिद्ध
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