*जो बदला जा सके ... उसे* *बदलिये*, *जो बदला न जा स | हिंदी शायरी

"*जो बदला जा सके ... उसे* *बदलिये*, *जो बदला न जा सके ... उसे स्वीकारिये *, *और जो स्वीकारा न जा सके ...* *उससे* *दूर* *हो जाइए। लेकिन स्वयं को* *खुश* *रखिये।* *ये भी एक बड़ी* *जिम्मेदारी* *है।* ©Navash2411"

 *जो बदला जा सके ... उसे* *बदलिये*,
*जो बदला न जा सके ... उसे स्वीकारिये *,
*और जो स्वीकारा न जा सके ...*
 *उससे* *दूर* *हो जाइए। 

लेकिन स्वयं को* *खुश* *रखिये।* 
*ये भी एक बड़ी* *जिम्मेदारी* *है।*

©Navash2411

*जो बदला जा सके ... उसे* *बदलिये*, *जो बदला न जा सके ... उसे स्वीकारिये *, *और जो स्वीकारा न जा सके ...* *उससे* *दूर* *हो जाइए। लेकिन स्वयं को* *खुश* *रखिये।* *ये भी एक बड़ी* *जिम्मेदारी* *है।* ©Navash2411

#नवश

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