ये चंचल मन ले चल तू आज मुझे
उस बस्ती में जहाँ जगदम्बे माँ का डेरा है
आज दिल बेताब मेरा मिलने को तड़पता है
बस ले चल तू ये चंचल मन जहाँ मेरी माँ का
डेरा वैसे तो रोज भटकाता है आज मेरा भी
ज़ी करता तुझे भटकाने को बस अब ले चल
सपनों में सही बस तू ले चल अब
उस बस्ती में जहाँ माँ का डेरा है
©Mahadev Son
ये चंचल मन ले चल तू आज मुझे
उस बस्ती में जहाँ जगदम्बे माँ का डेरा है
आज दिल बेताब मेरा मिलने को तड़पता है
बस ले चल तू ये चंचल मन जहाँ मेरी माँ का
डेरा वैसे तो रोज भटकाता है आज मेरा भी
ज़ी करता तुझे भटकाने को बस अब ले चल