खजाना सौंप कर मुझको, किस दोलत कि खोज में हो
किसी ने नशा कराया है क्या तुमको ...तुम होश मे तो हो
क्या तुम जाना चहाती हो उन बहुमंजिला मकानों में
जहां आज भी रिश्ते बन्द है... बड़े बड़े तहखानों मे
ओर जिनके घरों और गाड़ीयों के शीशों में अन्दर की तरफ़ आज भी नहीं दीखता
क्या वो ... इन्सानियत ढुंढ पाएंगे इन्सानों में
©Kavi Ashok samrat
#Dil lagi
#Dark