दिल ख्याल बुन रहा था, मन अल्फ़ाज़ चुन रहा था । त | हिंदी Shayari

"दिल ख्याल बुन रहा था, मन अल्फ़ाज़ चुन रहा था । तब मैं कलम, किताब की मोहब्बत ए दास्तां सुन रहा था। ©SHIVAM TOMAR "सागर""

 दिल ख्याल बुन रहा था,

मन अल्फ़ाज़ चुन रहा था ।

तब मैं 

कलम, किताब  की 

मोहब्बत ए दास्तां सुन रहा था।

©SHIVAM TOMAR "सागर"

दिल ख्याल बुन रहा था, मन अल्फ़ाज़ चुन रहा था । तब मैं कलम, किताब की मोहब्बत ए दास्तां सुन रहा था। ©SHIVAM TOMAR "सागर"

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