वक़्त रहता नहीं कही टिक कर, आदत इस की भी आदमी सी है | हिंदी शायरी

"वक़्त रहता नहीं कही टिक कर, आदत इस की भी आदमी सी है! -गुलज़ार"

 वक़्त रहता नहीं कही टिक कर,
आदत इस की भी आदमी सी है!
-गुलज़ार

वक़्त रहता नहीं कही टिक कर, आदत इस की भी आदमी सी है! -गुलज़ार

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