कब तक चलूं , कहां तक चलूं,
मंजिल तो दिखे।
पीछे जो देखा मुड़कर, बचपन, शरारते, नादानियां,
न चाहते हुए भी बिके।।
अब मैं लौटना भी चाहूं, तो सब कुछ तबाह।
भला इसी में है, कि अब मैं और तुम दोनो इस तबाही को कागज पे लिखे।।।
©Anuj Kumar
#written_by_me plz 1 cmnt.Pooja akela pan 2484 RAVINANDAN Tiwari Sankranti