जो हमेसा मेरी तारीफ करता था
आज वो शिकायत करने लगा
जो मुझे देख कर कभी नजरंदाज न करता था
वो आज नजरे चुराने लगा
जो मेरी बातो से कभी ना थकता
वो आज मेरी बातो से कतराने लगा
जो कभी मेरा सिर झुकने न देता था
आज वही मुझे झुकाने लगा
जिसने मुझे ख्वाब देखना सिखाया
वो आज मेरे ख्वाबो को तोड़ कर बिखेरने लगा
जिसने प्यार सिखाया वो प्यार से मुखड गया
मुझे ठहेरना सिखाया और वो फिसल गया
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jo mujhe bdal kar khud badal