नारी आज भी कहाँ आज़ाद है आज भी सुनती है, ऐसे चलो,ये | हिंदी कविता

"नारी आज भी कहाँ आज़ाद है आज भी सुनती है, ऐसे चलो,ये मत पहनो,ऐसे क्यों किया इतनी जोर से हंसने की क्या ज़रूरत थी, जगह जगह सेल्फी क्यों लेती हो, तुम्हे वहां बोलने की क्या जरूरत थी, पचास की उम्र मे अब सलवार कमीज ही पहनो जीन्स पहनने की अब उम्र नही रही बालों को क्यों कलर करती हो नेचुरल सफेदी रहने दो, लिखती हो ठीक है मगर गोष्ठी में क्यों जाना, नारी को पसंद है दुर्गापूजा के भंडारे का खाना अपनी हमउम्र बहनों के ,दोस्तो के साथ , भीड़ में घुसकर हाथों में गर्म भंडारा लिये बाहर आना और फिर तमाम् हिदायते सुनना, अच्छा लगता है क्या इस तरह भीड़ में जाना? आज के बदलते वक्त की बात करो तो, एक जवाब सुनो "मर्द आज भी खड़ा होकर पेशाब करता है,तुम करोगी क्या? और बस नारी की चुप्पी और उधर किला फतह। ©sunita sonawrites"

 नारी आज भी कहाँ आज़ाद है
आज भी सुनती है,
ऐसे चलो,ये मत पहनो,ऐसे क्यों किया
इतनी जोर से हंसने की क्या ज़रूरत थी,
जगह जगह सेल्फी क्यों लेती हो,
तुम्हे वहां बोलने की क्या जरूरत थी,
पचास की उम्र मे अब सलवार कमीज ही पहनो
जीन्स पहनने की अब उम्र नही रही
बालों को क्यों कलर करती हो
नेचुरल सफेदी रहने दो,
लिखती हो ठीक है मगर गोष्ठी में क्यों जाना,
नारी को पसंद है दुर्गापूजा के भंडारे का खाना
अपनी हमउम्र बहनों के ,दोस्तो के साथ ,
भीड़ में घुसकर हाथों में गर्म भंडारा लिये बाहर आना
और फिर तमाम् हिदायते सुनना,
अच्छा लगता है क्या इस तरह भीड़ में जाना?
आज के बदलते वक्त की बात करो तो,
एक जवाब सुनो
"मर्द आज भी खड़ा होकर पेशाब करता है,तुम करोगी क्या?
और बस नारी की चुप्पी और उधर किला फतह।

©sunita sonawrites

नारी आज भी कहाँ आज़ाद है आज भी सुनती है, ऐसे चलो,ये मत पहनो,ऐसे क्यों किया इतनी जोर से हंसने की क्या ज़रूरत थी, जगह जगह सेल्फी क्यों लेती हो, तुम्हे वहां बोलने की क्या जरूरत थी, पचास की उम्र मे अब सलवार कमीज ही पहनो जीन्स पहनने की अब उम्र नही रही बालों को क्यों कलर करती हो नेचुरल सफेदी रहने दो, लिखती हो ठीक है मगर गोष्ठी में क्यों जाना, नारी को पसंद है दुर्गापूजा के भंडारे का खाना अपनी हमउम्र बहनों के ,दोस्तो के साथ , भीड़ में घुसकर हाथों में गर्म भंडारा लिये बाहर आना और फिर तमाम् हिदायते सुनना, अच्छा लगता है क्या इस तरह भीड़ में जाना? आज के बदलते वक्त की बात करो तो, एक जवाब सुनो "मर्द आज भी खड़ा होकर पेशाब करता है,तुम करोगी क्या? और बस नारी की चुप्पी और उधर किला फतह। ©sunita sonawrites

#Naari ka jeevan#

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