कल भी मुसाफिर थे आज भी मुसाफिर है, कल अपनों की तला | हिंदी शायरी

"कल भी मुसाफिर थे आज भी मुसाफिर है, कल अपनों की तलाश में था, आज अपनी तलाश में हूँ। ©s.k shayar"

 कल भी मुसाफिर थे आज भी मुसाफिर है,
कल अपनों की तलाश में था, आज अपनी तलाश में हूँ।

©s.k shayar

कल भी मुसाफिर थे आज भी मुसाफिर है, कल अपनों की तलाश में था, आज अपनी तलाश में हूँ। ©s.k shayar

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