अख़बार अख़बार भी अब इस बार तेरे दर नहीं आएगा ख़बर बेख | हिंदी शायरी

"अख़बार अख़बार भी अब इस बार तेरे दर नहीं आएगा ख़बर बेखबर का पता तुझे नहीं चल पायेगा। ये जो तुम मुझे प्रतिद्वंदी समझते हो आयेसे तेरे मेंरे सनातनत्व जीवन का न्याय नहीं हो पायेगा। ©विवेक कुमार मौर्या (अज्ञात )"

 अख़बार अख़बार भी अब इस बार तेरे दर नहीं आएगा
ख़बर बेखबर का पता तुझे नहीं चल पायेगा।
ये जो तुम मुझे प्रतिद्वंदी समझते हो
आयेसे तेरे मेंरे सनातनत्व जीवन का न्याय नहीं हो पायेगा।

©विवेक कुमार मौर्या (अज्ञात )

अख़बार अख़बार भी अब इस बार तेरे दर नहीं आएगा ख़बर बेखबर का पता तुझे नहीं चल पायेगा। ये जो तुम मुझे प्रतिद्वंदी समझते हो आयेसे तेरे मेंरे सनातनत्व जीवन का न्याय नहीं हो पायेगा। ©विवेक कुमार मौर्या (अज्ञात )

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