बादल के पिंजरे में चांद जकड़ा था,
याद करिए मैनें पहली दफा कब पकड़ा था,
टिमटिमाते तारों के बीच हाथ पकड़ा था,
तुमने ताउम्र मोहब्बत की सजा दी थी,
पिंजरे में बंद मोहब्बत हंसते हंसते कबूल की थी।।
©चंद्रवीर गर्ग आबदार
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