#FourLinePoetry बालकनी में खिड़की के पास बैठकर
चाय की चुस्की लेते हुए...
पंछियों और मुसाफिरो को देखना
वापस ठिकाने पर आते हुए...
इस शाम में तुम्हे जरा..सा
नज़र भर देखने की बेचैनी लिए हुए...
सूरज की रोशनी और तुम्हारे ख्याल का स्पर्श..
बन जाते है मेरी महकी महकी हुई फजा...
©sapna kushmaha
#fourlinepoetry