तुझमें कैद भी मंज़ूर मुझे , चंद मिली इन राहतों का | हिंदी Shayari Vide

"तुझमें कैद भी मंज़ूर मुझे , चंद मिली इन राहतों का क्या करें हम, आंखें नम हो ही जाती हैं , दिल को लगी इन आदतों का क्या करें हम, हसरतें कहां पूरी होती है आसानी से मगर , इन चाहतों का क्या करें हम । ©Suraj Singh Yadav "

तुझमें कैद भी मंज़ूर मुझे , चंद मिली इन राहतों का क्या करें हम, आंखें नम हो ही जाती हैं , दिल को लगी इन आदतों का क्या करें हम, हसरतें कहां पूरी होती है आसानी से मगर , इन चाहतों का क्या करें हम । ©Suraj Singh Yadav

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