orange string love light जीवन की आपा धापी में,
कितने रिश्ते रूठ गए।
बहुत संभाला बचा न पाए,
मोह के धागे टूट गए।
कांच से निकले लोग यहां के,
चटके और फिर टूट गए।
काम न आया कोई जादू
जंतर मंतर सब झूठ हुए
लम्बी फेहरिस्त रकीबों की
हम सच्चे होकर भी चूक गए
ना समझे वो प्यार कभी मेरा
फिर रिश्ते भी अब तो टूट गए
उनको अपना सबकुछ माना
और जन बुझ कर मोल लिए
बंद आंखों में ख्वाब संजोया था,
आंख खुली और टूट गए।
फिर तन्हा तन्हा रहते थे,
अब तन्हाई से भी ऊब गए।
©Richa Rai ( गूंज )
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