किरदार_ बचपन का ही बेहतर था। कर्ज नही उतारने थे। अ | हिंदी Video

"किरदार_ बचपन का ही बेहतर था। कर्ज नही उतारने थे। अब तो_ हँसी शाम का कर्ज तन्हा रात से_ और, खिली सुबह का कर्ज कड़ी धूप से_ उतारने होते है। Neha Ku. Kushavaha किरदार_ बचपन का ही बेहतर था। कर्ज नही उतारने थे। अब तो_ हँसी शाम का कर्ज तन्हा रात से_ और, खिली सुबह का कर्ज कड़ी धूप से_ उतारने होते है। _Neha Ku. Kushavaha किरदार_ बचपन का ही बेहतर था। कर्ज नहीं उतारने थे। अब तो_ हँसी शाम का कर्ज तन्हा रात से_ और, खिली सुबह का कर्ज कड़ी धूप से_ उतारने होते है। _Neha Ku. Kushavaha किरदार_ बचपन का ही बेहतर था। कर्ज नहीं उतारने थे। अब तो_ हँसी शाम का कर्ज तन्हा रात से_ और, खिली सुबह का कर्ज कड़ी धूप से_ उतारने होते है _Neha Ku. Kushavaha "

किरदार_ बचपन का ही बेहतर था। कर्ज नही उतारने थे। अब तो_ हँसी शाम का कर्ज तन्हा रात से_ और, खिली सुबह का कर्ज कड़ी धूप से_ उतारने होते है। Neha Ku. Kushavaha किरदार_ बचपन का ही बेहतर था। कर्ज नही उतारने थे। अब तो_ हँसी शाम का कर्ज तन्हा रात से_ और, खिली सुबह का कर्ज कड़ी धूप से_ उतारने होते है। _Neha Ku. Kushavaha किरदार_ बचपन का ही बेहतर था। कर्ज नहीं उतारने थे। अब तो_ हँसी शाम का कर्ज तन्हा रात से_ और, खिली सुबह का कर्ज कड़ी धूप से_ उतारने होते है। _Neha Ku. Kushavaha किरदार_ बचपन का ही बेहतर था। कर्ज नहीं उतारने थे। अब तो_ हँसी शाम का कर्ज तन्हा रात से_ और, खिली सुबह का कर्ज कड़ी धूप से_ उतारने होते है _Neha Ku. Kushavaha

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