किरदार_
बचपन का ही बेहतर था।
कर्ज नही उतारने थे।
अब तो_
हँसी शाम का कर्ज तन्हा रात से_
और,
खिली सुबह का कर्ज कड़ी धूप से_
उतारने होते है।
Neha Ku. Kushavaha किरदार_
बचपन का ही बेहतर था।
कर्ज नही उतारने थे।
अब तो_
हँसी शाम का कर्ज तन्हा रात से_
और,
खिली सुबह का कर्ज कड़ी धूप से_
उतारने होते है।
_Neha Ku. Kushavaha
किरदार_
बचपन का ही बेहतर था।
कर्ज नहीं उतारने थे।
अब तो_
हँसी शाम का कर्ज तन्हा रात से_
और,
खिली सुबह का कर्ज कड़ी धूप से_
उतारने होते है।
_Neha Ku. Kushavaha किरदार_
बचपन का ही बेहतर था।
कर्ज नहीं उतारने थे।
अब तो_
हँसी शाम का कर्ज तन्हा रात से_
और,
खिली सुबह का कर्ज कड़ी धूप से_
उतारने होते है
_Neha Ku. Kushavaha
#teraghata