White दुर्जन से दूरी भली, समझे तो सुख होय। लाख | हिंदी Poetry

"White दुर्जन से दूरी भली, समझे तो सुख होय। लाख उपाय करै मगर, विष अमृत ना होय।। श्वानपुच्छ-सी कुटिलता, कबहुं न सीधी होय। वक्र चन्द्रमा डरैं सब, गहन न उसका होय।। ©Shiv Narayan Saxena"

 White दुर्जन से  दूरी भली,  समझे  तो  सुख होय।
लाख उपाय करै मगर, विष अमृत ना होय।।

श्वानपुच्छ-सी कुटिलता, कबहुं न सीधी होय।
वक्र  चन्द्रमा  डरैं  सब, गहन न उसका होय।।

©Shiv Narayan Saxena

White दुर्जन से दूरी भली, समझे तो सुख होय। लाख उपाय करै मगर, विष अमृत ना होय।। श्वानपुच्छ-सी कुटिलता, कबहुं न सीधी होय। वक्र चन्द्रमा डरैं सब, गहन न उसका होय।। ©Shiv Narayan Saxena

#good_night दुर्जन से दूरी भली.....

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