मरते नहीं हैं रिश्ते...
जब तक कि किसी एक के दिल में भी बची हो उनको निभाने की तड़प....
जब तक की कहीं बाक़ी हो उनसे जुड़ी एक भी याद...
जब तक कि कहीं लुढ़क जाता हो एक भी आँसू उनके नाम...
रिश्ते मरते नहीं हैं तब तक...लड़ते रहते हैं अपने आपसे
वेंटिलेटर पर पड़े हुए...दुआ करते रहते हैं अपनी ही बहाली की...इंतज़ार करते रहते हैं कि आये कोई दिल की गहराइयों से और ले जाये उन्हें उस छटपटाहट से बाहर
लगा के सीने से...
कोई धो दे तमाम गिले शिकवे खारे पानी से...