White जाने कहाँ गए वो दिन ?
घण्टो दूध पकता था हांडी में,आज दो उबाल काफी है ।
हांडी में बना करती थी डाल जिसमें से दादी झाग निकालती थी ?
अब कुक्कर में सीटी लगती है ।
पेड़ की छांव में बैठकर लुगाइयाँ गीत गाती थी ,
अब ac के कमरे में फिल्मी गाने बजते हैं !
मिट्टी में खेला करते थे बच्चे , कोई बीमारी पास आई नही ।
टायल ओर पत्थर का ऐसा दौर है आया ?
स्वस्थ कोई रहा नही !
जाने कहाँ गए वो दिन ?
भाई ,भाई के पास बैठा करता ! हर समस्या का समाधान था ।
आज हाथ मे गूगल लिये बने फिरते सब विद्वान है ।
फिर भी तनाव का छाया प्रचंड काल है ।
जाने कहाँ गए वो दिन ?
खान पान का रवैया क्या बदला ?
बदला देश तमाम है ।
पश्चिमी सभ्यता ले डूबी, स्वदेश का प्यार ?
भाई भाई रहा नही प्यार ?
ऑनलाइन दोस्तो का प्रचार है ।
कोसो दूर बैठे अजनबी पर है भरोसा ?
भाई पर रहा ऐतबार नही ?
जाने कहाँ गए वो दिन ???
लाइने तो इतनी है कि पृष्ठ कम पड़ जाए !
अभी भी है समय स्वदेशी अपनाओ ,अपना ना सही !आने वाला कल बचा लो ...✍️✍️✍️
©V Gurjar
#देश मेरा भटक गया