एहसासों की सरजमीं है
ख्वाहिशों का काफिला है
सुनसान इन राहों पर
मंजिलों का पता नही
इस भरी दुनिया में
हर शख्स पराया था
वो जो चला था संग मेरे
बस मेरा ही साया था
पर अब तो निकल पड़े
परवाह नही जमाने की
मुसाफिर हूँ अकेला पर
धुन है मंजिल पाने की...
©Prateek Singh
#nightsky