मगरुर तो न थे वो शायद हम ने ही उन्हें सर बिठा रखा | हिंदी शायरी

"मगरुर तो न थे वो शायद हम ने ही उन्हें सर बिठा रखा था । वैसे किसी की औकात नहीं थी दिल तक जाने की गलती हमारी ही है हमने ही उन्हें दिल का रास्ता बता रखा था ।। ©Hitender Daksh"

 मगरुर तो न थे वो
शायद हम ने ही उन्हें सर बिठा रखा था ।
वैसे किसी की औकात नहीं थी दिल तक जाने की
गलती हमारी ही है 
हमने ही उन्हें दिल का रास्ता बता रखा था ।।

©Hitender Daksh

मगरुर तो न थे वो शायद हम ने ही उन्हें सर बिठा रखा था । वैसे किसी की औकात नहीं थी दिल तक जाने की गलती हमारी ही है हमने ही उन्हें दिल का रास्ता बता रखा था ।। ©Hitender Daksh

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