"उड़ते परिंदों से आसमाँ छीना नहीँ जा सकता
दौलते लुटाकर भी हूनर खरीदा नहीँ जा सकता....
समन्दर में मिल जाने की ज़िद हो गर
ऊंचे बाँधो से दरिया रोका नहिँ जा सकता
~ दीनबंधु"
उड़ते परिंदों से आसमाँ छीना नहीँ जा सकता
दौलते लुटाकर भी हूनर खरीदा नहीँ जा सकता....
समन्दर में मिल जाने की ज़िद हो गर
ऊंचे बाँधो से दरिया रोका नहिँ जा सकता
~ दीनबंधु