"कभी-कभी मन होता है न
कि कोई हो जो संभाल ले
कोई हो जिस पर भरोसा करके
अपने मन के सारे दुख
सारी बातें कह लें
कोई हो
जिसकी गोद में
सर छिपा कर
तब तक रोते रहें
जब तक आखों के आँसू चुक न जाऐं
पर.........
जब आस पास नजर दौड़ाओ
तो इतने लोगों की भीड़ में भी
कोई ऐसा अपना नजर नहीं आता
तब अहसास होता है
कितने तन्हा कितने अकेले हैं हम
©Ritujoshi
"