में ओर तुम मिलकर जो सपने देखे थे , उन्हें आग लगा द

"में ओर तुम मिलकर जो सपने देखे थे , उन्हें आग लगा दूँ या सच बना दूँ। जो साथ में बैठ कर बाते किए थे, उन्हें याद रखूँ या धुंआ बना दूँ। साथ चले जिन रास्तों पर उन रास्तों का क्या करूँ, कांटे बिछा दूँ या फूलों से सजा दूँ। मेरे साथ जो तुमने लम्हे गुजारे थे, उन्हें कैसे भुला दूँ ....कैसे भुला दूँ।"

 में ओर तुम मिलकर जो सपने देखे थे ,
उन्हें आग लगा दूँ या सच बना दूँ।
जो साथ में बैठ कर बाते किए थे,
उन्हें याद रखूँ या धुंआ बना दूँ।
साथ चले जिन रास्तों पर उन रास्तों का क्या करूँ,
कांटे बिछा दूँ या फूलों से सजा दूँ।
मेरे साथ जो तुमने लम्हे गुजारे थे,
उन्हें कैसे भुला दूँ ....कैसे भुला दूँ।

में ओर तुम मिलकर जो सपने देखे थे , उन्हें आग लगा दूँ या सच बना दूँ। जो साथ में बैठ कर बाते किए थे, उन्हें याद रखूँ या धुंआ बना दूँ। साथ चले जिन रास्तों पर उन रास्तों का क्या करूँ, कांटे बिछा दूँ या फूलों से सजा दूँ। मेरे साथ जो तुमने लम्हे गुजारे थे, उन्हें कैसे भुला दूँ ....कैसे भुला दूँ।

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