White रात इकाई, नींद दहाई,
ख़्वाब सेंकड़ों दर्द हज़ार,
बहुत हुआ अब रोना धोना,
मान भी जा ! ओ मेरे यार!
कभी किसी के जो बन न सके,
वो यार दोस्ती क्या जाने
उन लोगों का तो रेहता है बस,
माचिस तीली का कारोबार!
कुछ लोग होके तुम्हारे अपने,
तोड़ते रहते हैं तुम्हारे सपने!
एक शब्द में क्या ही बोलूँ,
वो केकई हैं रिश्तेदार!
लोग "निधि" को चाहे इतना,
जैसे मरने वाला, साँस हज़ार!
रात इकाई, नींद दहाई,
ख़्वाब सेंकड़ों दर्द हज़ार!
दोस्त रूठे तो रब रूठे,
तो फ़िर रब रूठे तो सब बेकार
एक शब्द में बोले "परवेज़"
वाह क्या बात है मेरे यार!
रात इकाई, नींद दहाई,
ख़्वाब सेंकड़ों दर्द हज़ार,
©Written By PammiG
#sad_shayari @Ambika Jha @Saleem @p j