उसी के हो, हिमायत क्यूँ नहीं करते
ऐ दिल मेरे, मुहब्बत क्यूँ नहीं करते
चुराता, हर अमावस, चाँद है कोई
सितारों तुम बगावत क्यूँ नहीं करते
~ अविनाश कर्ण
©अविनाश कुमार
" चाँद की चोरी "
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उसी के हो, हिमायत क्यूँ नहीं करते
ऐ दिल मेरे, मुहब्बत क्यूँ नहीं करते
चुराता, हर अमावस, चाँद है कोई
सितारों तुम बगावत क्यूँ नहीं करते