मेरी रातों की राहत, दिन के इत्मिनान ले जाना; तुम्ह | हिंदी शायरी

"मेरी रातों की राहत, दिन के इत्मिनान ले जाना; तुम्हारे काम आ जायेगा, यह सामान ले जाना; तुम्हारे बाद क्या रखना अना से वास्ता कोई; तुम अपने साथ मेरा उम्र भर का मान ले जाना; शिकस्ता के कुछ रेज़े पड़े हैं फर्श पर, चुन लो; अगर तुम जोड़ सको तो यह गुलदान ले जाना; तुम्हें ऐसे तो खाली हाथ रुखसत कर नहीं सकते; पुरानी दोस्ती है, की कुछ पहचान ले जाना; इरादा कर लिया है तुमने गर सचमुच बिछड़ने का; तो फिर अपने यह सारे वादा-ओ-पैमान ले जाना; अगर थोड़ी बहुत है, शायरी से उनको दिलचस्पी; तो उनके सामने मेरा यह दीवान ले जाना। ©बेजुबान शायर shivkumar"

 मेरी रातों की राहत, दिन के इत्मिनान ले जाना;
तुम्हारे काम आ जायेगा, यह सामान ले जाना;

तुम्हारे बाद क्या रखना अना से वास्ता कोई;
तुम अपने साथ मेरा उम्र भर का मान ले जाना;

शिकस्ता के कुछ रेज़े पड़े हैं फर्श पर, चुन लो;
अगर तुम जोड़ सको तो यह गुलदान ले जाना;

तुम्हें ऐसे तो खाली हाथ रुखसत कर नहीं सकते;
पुरानी दोस्ती है, की कुछ पहचान ले जाना;

इरादा कर लिया है तुमने गर सचमुच बिछड़ने का;
तो फिर अपने यह सारे वादा-ओ-पैमान ले जाना;

अगर थोड़ी बहुत है, शायरी से उनको दिलचस्पी;
तो उनके सामने मेरा यह दीवान ले जाना।

©बेजुबान शायर shivkumar

मेरी रातों की राहत, दिन के इत्मिनान ले जाना; तुम्हारे काम आ जायेगा, यह सामान ले जाना; तुम्हारे बाद क्या रखना अना से वास्ता कोई; तुम अपने साथ मेरा उम्र भर का मान ले जाना; शिकस्ता के कुछ रेज़े पड़े हैं फर्श पर, चुन लो; अगर तुम जोड़ सको तो यह गुलदान ले जाना; तुम्हें ऐसे तो खाली हाथ रुखसत कर नहीं सकते; पुरानी दोस्ती है, की कुछ पहचान ले जाना; इरादा कर लिया है तुमने गर सचमुच बिछड़ने का; तो फिर अपने यह सारे वादा-ओ-पैमान ले जाना; अगर थोड़ी बहुत है, शायरी से उनको दिलचस्पी; तो उनके सामने मेरा यह दीवान ले जाना। ©बेजुबान शायर shivkumar

मेरी #रातों की राहत, दिन के #इत्मिनान ले जाना;
तुम्हारे काम आ जायेगा, यह सामान ले जाना;

तुम्हारे बाद क्या रखना अना से #वास्ता कोई;
तुम अपने साथ मेरा #उम्र भर का मान ले जाना;

शिकस्ता के कुछ रेज़े पड़े हैं फर्श पर, चुन लो;
अगर तुम जोड़ सको तो यह गुलदान ले जाना;

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