जिन्दगी की कहनी भी अजब कहानी है,
कहीं समझदारी कहीं बड़ी बड़ी नादानी है।
वक्त फिसलता रहा मुठ्ठी से रेत की तरह,
सुख दुःख के किस्से तो वक्त कि निशानी है।
रस्मो रिवाज में जब बांध लिया खुद को,
अपने उसूल तोड़ना भी खुद से बेईमानी है।
किसकी करें शिकायत,किस से करें शिकायत,
कौन किसकी सुनता है,सबकी तो मनमानी है।
"जैसे को तैसा" मिला,संसार का नियम है,
बस यही बात हमें अपने आप को समझनी
©#Jitendra777
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