Happy Janmashtami हे कृष्णा
तू ही बता कब तक मैं धीर धरूँ
विरह की कब तक मैं पीर सहूँ
मन की सूनी गलियाँ बैरन
अँसुवन से भीगे हैं नैनन
अब शब्द नहीं,निःशब्द हुई
तुममें खोकर मैं, मैं ही नहीं |
अब आन पड़ो जीवन में तुम
मन को मेरे कर दो मधुवन तुम
तुम सागर,मैं तो क्षुद्र नदी
मेरा आदि और अंत है तुमसे ही
मेरी डूबती कश्ती जीवन की
हरपल टेर लगाए मोहन की
बस हाथ लगा दो हे गिरधर!
सर्वस्व निछावर है तुम पर|
मैं खुद की तुझे तक़दीर कहूँ
विरह की कब तक मैं पीर सहूँ ||
©स्मृति.... Monika
#happyjanmashtami#अब आन पड़ो मोहन