तुम मेरे दिल में हो एक साज़ की तरह
तुम मेरे लब्ज़ों में आवाज़ की तरह
तुम मेरे दीदों में एक ख़्वाब की तरह
तुम मेरी बातों में लिहाज़ की तरह
बिन तुम्हारे ज़िंदगी बिन मंज़िल की कोई राह की तरह
तुम बिन जीना मानों जैसे उम्रक़ैद की सज़ा
कुमार
©kumar Abhishek Bhartiya