ये रिश्तें भी कब 'आप' से 'तुम' और 'तुम' से 'तू' तक आ जाते है
एक दुसरे का बनने की होड़ में पता नहीं कब 'मतलबी' बन जाते हैं
दिखाते हैं बेशुमार 'याराना' हल्के से 'स्वार्थ' को छुपाते हैं
वादे करके कई हज़ार एक दिन चुपके से अकेले छोड़ जाते हैं
©BUNTY MURADYA
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