मांझी तेरी कस्ती के तलबगार बहुत है इस पार कुछ कम म | हिंदी Shayari

"मांझी तेरी कस्ती के तलबगार बहुत है इस पार कुछ कम मगर उस पार बहुत हैं। जिस शहर में तूने खोली है शीशे की दुकान उस शहर में पत्थर के खरीदार बहुत हैं।। (एक्स,आर्मी) ©Krishana Kant Sinha"

 मांझी तेरी कस्ती के तलबगार बहुत है
इस पार कुछ कम मगर उस पार बहुत हैं।

जिस शहर में तूने खोली है शीशे की दुकान
उस शहर में पत्थर के खरीदार बहुत हैं।।

(एक्स,आर्मी)

©Krishana Kant Sinha

मांझी तेरी कस्ती के तलबगार बहुत है इस पार कुछ कम मगर उस पार बहुत हैं। जिस शहर में तूने खोली है शीशे की दुकान उस शहर में पत्थर के खरीदार बहुत हैं।। (एक्स,आर्मी) ©Krishana Kant Sinha

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